About University
Cradled in the lap of mountains at the foothills of auspicious Trikuta, besides the river Tawi at an altitude of 1030 ft. is Jammu. This 'city of temples' has many places...
09 अक्टूबर 2024 को हिन्दी निदेशालय, जम्मू विश्वविद्यालय, ने ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का शुभारम्भ किया। इसके अंतर्गत व्याख्यान श्रृंखला -1 में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन विशिष्ट व्याख्यान का सफल आयोजन किया गया। विशिष्ट वक्ता के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय लेखिका सम्माननीय सुश्री दिव्या माथुर उपस्थित थीं । व्याख्यान की शुरुआत हिन्दी निदेशालय की निदेशक, प्रो. अंजु शर्मा द्वारा विशिष्ट वक्ता के विधिवत स्वागत और परिचय से हुई । सुश्री दिव्या माथुर ने यूके में भारतीय साहित्य और संस्कृति विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया । अपने व्याख्यान में यूके प्रवासी साहित्य में विदेशों में बसे भारतीयों की अपनी मिट्टी से बिछुड़ने की टूटन और वहां की संस्कृति से प्रभावित भारतीयों के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने साहित्य को खेमों में बांटने की मानसिकता की अवहेलना करने के साथ विद्यार्थियों को प्रवासी साहित्य से सम्बंधित पुस्तकों और वेबसाइट की जानकारी भी दी । इसके अतिरिक्त ज्ञान के विस्तार हेतु उन्होंने विद्यार्थियों और शोधार्थियों को अधिक से अधिक पुस्तकों के अध्ययन का सुझाव दिया । मुख्य वक्ता ने ऑनलाइन जुड़े अध्यापकों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का शमन संतोषजनक उत्तर देकर किया। इस कार्यक्रम में दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र, अंग्रेजी, की वरिष्ट प्रो. अनुपमा वोहरा, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से डॉ. सुनीता शर्मा, हिन्दी विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, की सेवानिवृत प्रो. नीलम सराफ, अन्य अध्यापकों के अतिरिक्त विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉ. कोशिका शर्मा की ओर से हुआ। कार्यक्रम का सफल आयोजन हिन्दी निदेशालय द्वारा संपन्न हुआ।
30 सितम्बर 2024 को हिन्दी निदेशालय, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू और दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के संयुक्त तत्वावधान से हिन्दी पखवाड़ा समापन समारोह के अंतर्गत काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया । काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ द्वीप प्रज्वलन से हुआ । तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि, निर्णायक मंडल, कवियों और हिन्दी प्रेमियों का विधिवत स्वागत जम्मू विश्वविद्यालय के हिन्दी निदेशालय की निदेशक प्रो. अंजु शर्मा द्वारा किया गया। काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू विश्वविद्यालय के दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के निदेशक प्रो. पंकज कुमार श्रीवास्तव और विशिष्ट अतिथि के रूप में हिन्दी विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय की विभाध्यक्ष प्रो. रजनी बाला ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को ऊर्जावान बनाया। निर्णायक की भूमिका में जम्मू विश्वविद्यालय के डॉ. विक्रम साही और दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के डॉ. जसपाल सिंह व डॉ. नीलम चौधरी ने विद्यार्थियों की स्वरचित कविताओं का निष्पक्ष मूल्यांकन कर निर्णायक मंडल की गरिमा को बनाये रखा । इस कार्यक्रम में 50 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया और उनमें से 20 से अधिक विद्यार्थियों ने स्वरचित कविताओं का पाठ कर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । मुख्य अतिथि प्रो. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने उभरते हुए युवा कवियों को अपने बहुमूल्य सुझावों से लाभान्वित करते हुए हिन्दी की प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किये । काव्य पाठ करने वाले विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए विशिष्ट अतिथियों द्वारा पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। पहला स्थान स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के विद्यार्थी विवेक शर्मा, दूसरा स्थान दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के शिक्षा स्नातक के विद्यार्थी दीपक कुमार, तीसरा स्थान दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के डोगरी विभाग की विद्यार्थी प्रियंका और सांत्वना पुरस्कार स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की विद्यार्थी काजल कोतवाल को देकर प्रोत्साहित किया गया । इस कार्यक्रम में जम्मू विश्वविद्यालय के कर्मचारी श्री मदन को भी उनकी स्वरचित कविता पाठ के लिया सम्मानित किया गया । मंच संचालन डॉ. पूजा शर्मा द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कोशिका शर्मा की ओर से हुआ । कार्यक्रम का सफल आयोजन हिन्दी निदेशालय की निदेशक प्रो. अंजू शर्मा के कुशल निर्देशन में संपन्न हुआ। इस दौरान वरिष्ट प्रो. अनुपमा वोहरा, प्रो. संदीप टंडन और अन्य अध्यापक भी उपस्थित थे । इस हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के विद्यार्थियों ने प्रतिदिन देश की महान विभूतियों के हिन्दी प्रेम को उजागर करने वाली उनकी पंक्तियों को वाइट बोर्ड पर प्रदर्शित कर हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया ।